12:49 AM | me: yea u said tht in the blog |
but | |
what is JLT? | |
12:50 AM | Vishwajeet: just like tht |
me: k | |
never heard tht before | |
12:51 AM | Vishwajeet: tu hopless ahes |
:P | |
me: tyat kai | |
tula JIT mahit ahe? | |
12:52 AM | Vishwajeet: just in time |
me: k tht was an easy one | |
Vishwajeet: haha |
इंद्र जिमि जंभ पर… बाडव सुअंभ पर… रावण सदंभ पर… रघुकुलराज है ! पौन बारिबाह पर… संभु रतिनाह पर… ज्यों सहसबाह पर… राम द्विजराज है ! उदरात माउली… रयतेस साउली… गडकोट राउळी… शिवशंकर हा मुक्तीची मंत्रणा… युक्तीची यंत्रणा… खल दुष्टदुर्जना… प्रलयंकर हा संतास रक्षितो… शत्रू निखंदतो… भावंडभावना… संस्थापितो ऐसा युगेयुगे… स्मरणीय सर्वदा… माता-पिता-सखा… शिवभूप तो दावा दृमदंड पर… चीता मृगझुंड पर… भूषन वितुंड पर… जैसे मृगराज है ! तेज तम अंस पर… कान्ह जिमि कंस पर… त्यों मलिच्छ बंस पर… सेर सिवराज है ! जय भवानी, जय शिवाजी ! Thanks to Nik for sending this. In case any of you want to read the whole poem you can visit this link .
Comments
@sid,NITIE madhlya saglyanna JIT mahit asnarach :) most of u are 'Ops' (not Oops) people