Skip to main content

Thoda Senti Hua Jaye

ना जाने कब से, उमीदें कुछ बाकी हैं
मुझे फिर भी तेरी याद क्यूँ आती है
ना जाने कब से....

दूर जितना भी तुम मुझ से पास तेरे में
अब तो आदत सी है मुझ को ऐसे जीने में
ज़िन्दगी से कोई शिकवा भी नहीं है
अब तो जिंदा हूँ में इस नीले आसमान में

चाहत ऐसी है यह तेरी बर्र टी जाये
आहात ऐसी है यह तेरी मुझ को सताए
यादें गहरी हैं इतनी दिल डूब जाए
और आँखों में यह गम नम बुन जाये
हे हे हे हे आ आ आ ओ ओ ओ
अब तो आदत सी है मुझ को ऐसे जीने में
हे हे हे हे आ आ आ ओ ओ ओ
आआआआ ओ ओ ओ
सभी राते हैं
सभी बातें हैं
भुला दो उन्हे
मिटा दो उन्हे
आ आ आ ओ ओ ओ
आआआआ ओ ओ ओ
अब तो आदत सी है मुझ को………..

Comments

Nikhil said…
kay re aathwan yetey ka?
ani athwan yene samju shakto..abhi bhi ummeeden kuch baki hai? :O
Siddhesh said…
Hehe... yete re athavan, but rarely. during some special occasions.
Nikhil said…
and wht abt 'ummeedein kuch baki hai?"
Siddhesh said…
Dunno...
It is just a part of the song

Popular posts from this blog

Raja Shivchhatrapati Lyrics

इंद्र जिमि जंभ पर… बाडव सुअंभ पर… रावण सदंभ पर… रघुकुलराज है ! पौन बारिबाह पर… संभु रतिनाह पर… ज्यों सहसबाह पर… राम द्विजराज है ! उदरात माउली… रयतेस साउली… गडकोट राउळी… शिवशंकर हा मुक्तीची मंत्रणा… युक्तीची यंत्रणा… खल दुष्टदुर्जना… प्रलयंकर हा संतास रक्षितो… शत्रू निखंदतो… भावंडभावना… संस्थापितो ऐसा युगेयुगे… स्मरणीय सर्वदा… माता-पिता-सखा… शिवभूप तो दावा दृमदंड पर… चीता मृगझुंड पर… भूषन वितुंड पर… जैसे मृगराज है ! तेज तम‍ अंस पर… कान्ह जिमि कंस पर… त्यों मलिच्छ बंस पर… सेर सिवराज है ! जय भवानी, जय शिवाजी !   Thanks to Nik for sending this. In case any of you want to read the whole poem you can visit this link .

शायरी

कुछ बिखरे सपने और आँखों में नमी है, एक छोटा सा आसमां और उम्मीन्दों की ज़मीं है, यूँ तो बहुत दोस्त है ज़िन्दगी मैं, पर जो खास है वाही पास नहीं है ....................

Sawai Ekankika’ 2013

So this year I completed a hat trick of watching the finals of Sawai . Like the previous 2 occasions, this too was a great experience. Most of the plays were good and the overall performance level was better than that of the 2012 finals. Most of the plays were based social issues like parenting, cynicism among the middle class, etc. Unlike the previous finals, not a single one was of romantic/love genre. Here is the list of finalists- Nat S. M. R. T. We missed this one as we were late. But Viraj's father told us, this was similar to the play " Natasamrat " but a modern version. Emotional Atyachar This was a story of an employee in an e-CRM firm which is hired by clients so that someone can communicate with their family. These clients are too "busy" with their work that they don't have time to speak with their wife/kids/parents. The agent/employee E26 slowly starts getting emotionally attached with his clients' families. Finally, when he is about t...