… everybody knows that you need more prevention than treatment, but few reward acts of prevention. We glorify those who left their names in history books at the expense of those contributors about whom our books are silent. We humans are not just superficial race; we are a very unfair one.
इंद्र जिमि जंभ पर… बाडव सुअंभ पर… रावण सदंभ पर… रघुकुलराज है ! पौन बारिबाह पर… संभु रतिनाह पर… ज्यों सहसबाह पर… राम द्विजराज है ! उदरात माउली… रयतेस साउली… गडकोट राउळी… शिवशंकर हा मुक्तीची मंत्रणा… युक्तीची यंत्रणा… खल दुष्टदुर्जना… प्रलयंकर हा संतास रक्षितो… शत्रू निखंदतो… भावंडभावना… संस्थापितो ऐसा युगेयुगे… स्मरणीय सर्वदा… माता-पिता-सखा… शिवभूप तो दावा दृमदंड पर… चीता मृगझुंड पर… भूषन वितुंड पर… जैसे मृगराज है ! तेज तम अंस पर… कान्ह जिमि कंस पर… त्यों मलिच्छ बंस पर… सेर सिवराज है ! जय भवानी, जय शिवाजी ! Thanks to Nik for sending this. In case any of you want to read the whole poem you can visit this link .
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